प्राचीन शिक्षा पद्धति में प्राप्तांको के आधार पर नहीं बल्कि प्रतिभा को समझने एवं निखारने का शिक्षक प्रयास करते थे:- प्रोफेसर अखिलेश्वर शुक्ल।
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By Admin
Published - 28 April 2025 149 views
जौनपुर। मेधावी छात्र/छात्राओं का सम्मान समारोह राजा श्री कृष्ण दत्त इंटर कॉलेज में उत्कृष्ट अंक प्राप्त करने वाले छात्र एवं छात्राओं का सम्मान समारोह आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता आरएसकेडी पीजी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉक्टर अखिलेश्वर शुक्ला ने किया।
कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉक्टर संजय चौबे ने छात्र एवं छात्राओं द्वारा उत्कृष्ट अंक प्राप्त करने वालों को प्रोत्साहित किया एवं पुरस्कार वितरित किया। विद्यालय के प्रबंधक डॉक्टर सत्यराम प्रजापति द्वारा छात्र एवं छात्राओं को जीवन में नई ऊंचाइयों को छूने का आशीर्वाद प्रदान किया।
कॉलेज में 85% से अधिक अंक प्राप्त करने वाले इंटरमीडिएट विज्ञान वर्ग में आयशा कयूम, आकांक्षा, अनामिका गुप्ता एवं हर्ष वाणिज्य वर्ग में शहिबा बानो, इच्छा चौबे तथा कला वर्ग में पलक अग्रहरि एवं रूपाली मोदनवाल ।
इसी तरह हाई स्कूल में 92 प्रतिशत अधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्र एवं छात्राएंअजीत राव, दीपांशु गौड़, सोनम यादव, उजाला मौर्य एवं खुशबू बिना बिन्द रहीं । विद्यालय के उप प्रबंधक जियाराम यादव ने मेधावी छात्र-छात्राओं को मिठाई खिलाकर आशीर्वाद दिया। इस मौके पर बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अजीत कपूर ने छात्र-छात्राओं को स्वस्थ जीवन जीने की शुभकामनाएं दी।
कार्यक्रम में कॉलेज के प्रवक्ता प्रेमचंद,अशोक कुमार तिवारी, अंजनी कुमार श्रीवास्तव, डॉ बृजेश कुमार सिंह, रमेश कुमार ,राम प्रताप, नागेंद्र प्रसाद ,यादव सुभाष ,आनंद तिवारी पवन कुमार साहू ,सूरज कुमार एवं समस्त शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता बृजभूषण यादव ने किया।
छात्र -छाञाओं को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ अजीत कपूर ने शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ मानसिक स्वस्थता के गुर सिखाए। वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राज पीजी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. अखिलेश्वर शुक्ला ने बताया कि प्राचीन शिक्षा पद्धति में प्राप्तांको के आधार पर नहीं बल्कि प्रतिभा योग्यता/ क्षमता को समझने एवं निखारने का शिक्षक (गुरु) प्रयास करते थे।आज परिस्थितियां भिन्न हैं ।
प्रोफेसर शुक्ला ने आज के विकास की परिभाषा करते हुए कहा कि आज प्रकृति के विरोध को ही विकास समक्षा जा रहा है जबकि प्रकृति की समीपता एवं संरक्षण को विकास समक्षा जाना चाहिए। इसे गंभीरता से समक्षने की आवश्यकता पर बल दिया जाना चाहिए।
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